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Monday, 22 December 2014

                       ज़िन्दगी

हम हैं ज़िंदा ये मक़सद नही सिर्फ जिंदगी का
क्या हुवा जो न मिला साथ मुझे दिल्लगी का !!

ख़त्म युहीं नही होता सफर इस दौर ऐ फानी का
बहोत हसीन औसाफ है बाकि अभी अपने ज़िंदगानी का !!

नहीं सिक्वा है अपनों की बे रुखानी का
न गम हैं उनके दूर जाने का !!

ज़िन्दगी तस्सवुर है एक गमगीन ख्यालों का
लहुँ जिसमे बहता है मोहब्बत करने वालों का !!

आ गया हूँ आब बाहर मोह नही है उन चाहने वालों का
लूट गयी है जिंदगी खो गया है तस्सवुर सामने वालों का !!

आओ एक नयी जिंदगी बनाये नए अरमानों का
चलो नयी डिक्शनरी बनाये कुछ नए अल्फ़ाज़ों का !!

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