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Saturday, 13 May 2017

सच क्या है !

सच क्या है ! क्या किसी को जलील करना सच है ? मेरे ख्याल से तो नहीं , वो सच क्या सच जिससे किसी का भला न हो बल्कि मजीद नफरत में इज़ाफ़ा हो जाये !
अक्सर लोगों को ये कहते हुवे सुनता हूँ की " मैं सच बोलता हूँ इसलिए ये बात बोल्दिया " और ऐसा कहकर वो कई बार भरी महफ़िल में किसी शख्स के लिए सच के नाम पे घृणा फ़ैलाने वाली बात बोलदेते हैं जिससे फायदा कुछ नहीं होता मगर तनाओ और बढ़ जाता है। ऐसा करने वाले को ये ज्ञात हो की इसदुनिया में सबके पास एक दूसरे के लिए सच का जखीरा है। हर किसी का कोई न कोई माज़ी होता और आज के दौर में लोग सच कम और माज़ी ज्यादा कहते हैं।

कल एक सज्जन से बात हुई वो बहुत उदास थे पूछने पे कहने लगे की देखिये आज अपने भतीजी के घर गया था।  तीसरी मंज़िल पे चढ़ते हुवे साँस फूल गया, दरवाज़ा खुलते ही बेसुध होकर सोफे पे गिर पड़ा। थोड़ी देर में दामाद जी आये और पूछने लगे अंकल क्या हुवा आप ठीक तो हैं। मैंने कहाँ हाँ ठीक हूँ,  थोड़ा सीढिया ज्यादा चढ़ गया इसलिए साँस फूल रहा है। इतने में मुँह बनाते हुवे भतीजी कहने लगी की चचा के पाओं में चप्पल भी नहीं हुवा करता था और गांव से १२ किलोमीटर दूर मुकदमा लड़ने मुजफ्फरपुर पैदल ही आते थे और आज २०/३० सीढिया चढ़ कर साँस फूल जाता है !!

उनके भतीजी को फ़ोन किया, मोहतरमा का जवाब था की "मैंने झूठ क्या कहा, जो सच था वही तो कहा"

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