बिछड़ के क्या है गुजरी तुझे बताएं क्या
दिल की तरह हमभी टूट जाएं क्या
तंज करते हो मेरे अहवाल ऐ ज़िन्दगी पे
हमारे पास भी है आईना दिखाएं क्या
करके चुगली हमेशा खुश हुवे तुम
हमभी रखते हैं ये हुनर बताएं क्या
इस शुक्रवार मेरी मूलाकात ऐसे ही एक व्यक्ति से हुई जो बहुत कठोर माना जाता है। मिलते ही चाय का दौर शुरू हुवा दुन्या भर की बातें हुई। फिर बातों ही बातों में वे कहने लगे मुझे गल्फ में आये हुवे २० साल होने को है। बी. ऐ पास करने के बाद जब देश में कोई नौकरी नही मिली तो घर वाले ने सोचा क्यों न शादी करदी जाये शायद शादी के बाद तक़दीर पलट जाये, अधूरे मन से मैंने भी हाँ करदी क्योंकि जब वाल्दैन ज़िद पे उत्तर जातें हैं तो न कहना मुश्किल हो जाता है और उनकी भी अपनी मज़बूरी होती। रिस्तेदार और पडोसी ऐसे पूछने लगते हैं शादी के लिए जैसे की इंसान की ज़िन्दगी का मक़सद सिर्फ शादी करना ही होता है। मुझे दिल्ली भेजदिया गया और ये खबर फैला दी गयी के मुझे नौकरी मिल गयी है। फिर जल्द ही रिश्ते आने लगे उनमे से एक को हाँ कर मेरी शादी तये करदी गयी। मैं तो था नाकारा मेरे पास किसी को देने के लिए कुछ नही था यहाँ तक के मैं पत्नी को भी कुछ न दे सका जिसका मुझे जीवन भर अफ़सोस रहेगा। पहली बार जब मैं ससुराल गया तो मुझसे पूछा गया की आप वापस कब जायेंगे दिल्ली तो मैंने लाज रखने के लिए कह दिया की मेरी छुट्टी बहुत कम दिनों की है और मुझे जल्द जाना होगा नही तो नौकरी चली जाएगी। कुछ दिन इधर उधर करने के बाद मैंने लोगों से कह दिया की मैं जहाँ काम करता था वो दफ्तर बंद हो गया सो अब दूसरी नौकरी ढूंढने के बाद जाऊंगा। अतः मैं जदली का कह कर ६ महीने तक भी अपने परिवार को छोड़कर बाहर न जा स्का और इसके लिए आज भी उस गांव के लोग इस बात की मिसाल देते हैं और जब भी कोई दामाद वक्त की पाबन्दी और जदबाजी की बात करता है तो वो मुझे याद करते हैं और एक दूसरे की तरफ देख कर मुसकुरा लेते हैं।
इतना कहते हुवे उनके आँखों में आंसू आगये पता नही लाठी खिलवाने वाले बात से उनका क्या तात्पर्ये था। मैंने उन्हें चुप कराया और पानी गिलास उनके तरफ बढ़ा दिया पानी पि कर जब वो ठन्डे हुवे तो कहने लगे की बीस साल में मैं सिर्फ ६ बार डेढ़ डेढ़ महीने के लिए घर गया हूँ। मतलब २० साल में मैं १९ साल से भी ज्यादा समय अपनों से दूर रहा हूँ। क्या ये एक सज़ा से कम है ?Teacher’s Day Memories – A Journey from Village to Infinity It was the year 1997. I was a young boy in my native village, full of curiosity...