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Monday, 17 November 2014

आज  फिर तेरी याद आई


आज  फिर तेरी याद आई
क्या कल रत फिर कोई सपना आएगा। 

जब तेरी याद दिन में आती है पूरी रात साथ होता हु
शायद आज भी ऐसा ही होगा और ऐसे में , में कब सोता हु। 

बीते हुवे दिन तो याद करके अब  कुछ  नही होगा
और आने वाले दिनों में बस साथ मेरे तेरा दुआ होगा।

सिर्फ तेरी यादों से मेरी आँखें धुंधला जाती है
माँ तू ऐसे कब तक रुलाएगी तू आ केउँ नही जाती।

तुझे भी मेरी परवाह में कुछ तो हुवा होगा
तू सोच रही होगी मेरे आने के बाद क्या क्या हुवा होगा।

तू परेशान हर गिज़ नही होना माँ, हम सब यहाँ ठीक हैं
हमें तो बस तेरी फ़िक्र है के क्या तू भी ठीक है। 

माँ आज भी जब घर जाता हु तो तू नज़र आती है
तेरा साया नज़र आता है तेरी चीज़ें नज़र आती है। 

कैसे तूने अरमानो से मुझे पला था ,
मगर किसे पता था की क्या होने वाला था।

एक पल में ही दुनिया उजर सी गयी 
तेरे जाने के बाद ये दुनिया बदल सी गयी। 

तूने जो सपने सजोये थे उनके सहारे में जीता रहा
जिंदगी की कश्मकश से हर वक्त लड़ता रहा।

अब भी कुछ बात बाकि है कुछ काम बाकि है
कुछ दीन बाकि है कुछ ईमान बाकि है। 

ऐ माँ अब सिर्फ दुआ करना की मैं दीन पर चलूँ
ईमान पर चलूँ और खुदा की बात पर चलूँ। 

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