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Monday, 14 March 2016

औलाद एक फूल

हर कोई ख़्वाब देखता है कोई सितारा मिले
जो भी मिले उसे ज़िन्दगी में प्यारा मिले।

तमन्ना ऐ इश्क़ थी औलाद की आमद से
दिन रात चाहत में डूबा रहा के एक उज्यारा मिले।

नाज़ों से पाल के मालियों सा सजोया  हैं
फूल देखके कहता हूँ कोई फल नयारा मिले।

चाहतों से भरा एक उम्मीद का दरख्त
तमन्ना होती हैं की अब हमको हमारा मिले।

देखता नही है अब औलाद एक बीमार की तरफ
परवरिश में लूट गया जो बाप के एक सहारा मिले।

रब से मांगू तो क्या मांगू मैं सरफ़राज़
कोई बख्शीश का हमें भी एक इशारा मिले

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