याद आयी जब घर से कमाने निकल गए
रूह काँप उठी और जमाने सिहम गए
ऐ जिंदगी किसकी तलाश में है तू
में यहाँ हूँ और कितने बूढ़े निकल गए
रूह काँप उठी और जमाने सिहम गए
ऐ जिंदगी किसकी तलाश में है तू
में यहाँ हूँ और कितने बूढ़े निकल गए
Teacher’s Day Memories – A Journey from Village to Infinity It was the year 1997. I was a young boy in my native village, full of curiosity...
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