उलझा हूँ तेरे ख्यालों में के शाम हो जाये
आने की खबर थी तेरी के एक जाम हो जाये
मोहब्बत न देखू तुझमे तो कोई बात नही
कुछ बात है फकत तुझमें वो सरे आम हो जाये
लिखता हूँ कलम से तो बस तेरा नाम ही है आता
डर है कहीं इसी आदत से तू बदनाम न हो जाये
अखलाक़ है अख़्लास है और चाह भी है तुझमे
चाहत भी यही अपनी की हम एक नाम हो जाये
अपनी ही तसल्ली को सही कुछ और भी तर्पुंगा
इससे पहले की अपनी जिंदगी का इख्तताम् हो जाये
तेरा नाम लिखे बिना ही क्या कुछ नही लिखता
मुकम्मल सी गजल लिखदूं पर गुम नाम न हो जाये
आने की खबर थी तेरी के एक जाम हो जाये
मोहब्बत न देखू तुझमे तो कोई बात नही
कुछ बात है फकत तुझमें वो सरे आम हो जाये
लिखता हूँ कलम से तो बस तेरा नाम ही है आता
डर है कहीं इसी आदत से तू बदनाम न हो जाये
अखलाक़ है अख़्लास है और चाह भी है तुझमे
चाहत भी यही अपनी की हम एक नाम हो जाये
अपनी ही तसल्ली को सही कुछ और भी तर्पुंगा
इससे पहले की अपनी जिंदगी का इख्तताम् हो जाये
तेरा नाम लिखे बिना ही क्या कुछ नही लिखता
मुकम्मल सी गजल लिखदूं पर गुम नाम न हो जाये
No comments:
Post a Comment