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Tuesday, 15 September 2015

मेरी आवारगी तो देखो मरने पे भी लोग संवारने लगे /शायद यही देख कर तेरी नज़र झुक गयी होगी। //

ज़ख्म दिल पे दिया तो ज़िन्दगी मौत बन गयी होगी
गर सोया ही न था तो ये  ख्वाब कैसे बन गयी होगी

बद्सलूकी का कोई हिसाब नही रखता बे अदब दुनिया में
जो ज़िन्दगी लूटी तो जान भी निकल गयी होगी।

पा न सका तुझको हज़ार तहज्जुदों के बाद
शायद ज़िक्रे इलाही में चिराग ऐ सेहर बुझ गयी होगी।

मेरी आवारगी तो देखो मरने पे भी लोग संवारने लगे
शायद यही देख कर तेरी नज़र झुक गयी होगी।

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