My Blog List

Thursday, 17 December 2015

मैं शरीफ हूँ मेरे निचे वाले चोर हैं।

केजरीवाल ने राजेंद्र को अपना प्रिंसिपल सेक्रेटरी क्यूं बनाया जबकि उनपे भ्रष्ट्राचार का आरोप पहले से ही लगा हुवा था। केजरीवाल जो की चुनाओ में उम्मीदवारों की जाँच करके उन्हें टिकट देने की बात की थी वहीँ एक प्रिंसिपल सेक्रेटरी को ऐसे कैसे रख लिया जो एक नही कई अरूप में घिरा हो।  ये सवाल किसी और सरकार से हम नही कर सकते क्यूंकि और दूसरी सरकारें के लिए ये बात कोई नयी नही है मगर केजरीवाल एक शरीफ और साफ़ नेता माने जाते हैं और उनका राजनीती सफर  भी इसी आधार पे शुरू हुवा था। केजरीवाल पहले तो ईमानदार और जनता के नेता थे मगर शायद अब उनको लग गया है की गद्दी पे बने रहने के लिए सिर्फ ईमानदारी से काम नही चलेगा और वो अब वो सब करना चाहते है जो एक नेता होने के लिए न्यूनतम योगयता में शुमार होता है। खैर ये तो होना ही था। ये तो इस देश का इतिहास रहा है की लोग अपने आपको ऊपर करने के लिए साफ़ सफ्फाफ़ दिखाते हुवे राजनीती शुरू करते हैं और बाद में भ्रष्टाचार में विलुप हो जाते हैं जैसा की हमने लोहिया के आंदोलन से जन्मे नेताओं में भी देखा है।
 अब बात आती है अपने आपको शरीफ कहलवाते हुवे अपने निचे भ्रष्टाचार होने देना वैसे ये कोई नयी बात नही हैं। देश में ईमानदार कहे जाने कई नेताओं ने खुद  को  शरीफ कहलवाते हुवे अपने नाक के निचे बुराई और भ्रष्ट्राचार को बढ़ावा दिया है मगर उनके प्रवक्ता और खुद ऐसे नेताओं ने  खुद को पाक साफ़ कहा है। मगर कैसे अगर आप अपने सामने या अपने निचे बुड़ाइ और भ्रष्ट्राचार को नही रोक पते हैं या बढ़वा देते है तो आपका अपराध उनसे भी बड़ा क्यों न माना जाये।
चाहे मनमोहन सिंह हों या अरुण जेटली या श्री नरेंद्र मोदी हों ये सभी वो लोग हैं जो ईमानदार तो हैं मगर भ्रष्टाचार नही रोक पाये। सवाल ये उठता है की इनका अपराध सीधे सीधे अपराधी से बड़ा क्यों नही है। 

No comments:

Post a Comment

Teacher’s Day Memories – A Journey from Village to Infinity

Teacher’s Day Memories – A Journey from Village to Infinity It was the year 1997. I was a young boy in my native village, full of curiosity...